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रसविक्रयी (यि्)  : पुं० [सं० रस-वि√क्री (बेचना)+णिनि, उप० स०] वह जो मदिरा बेचता हो, अर्थात् कलवार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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